मानव भूगोल पृथ्वी तल पर मानव समुदायों के स्थानिक वितरण एवं विभिन्न प्रदेशों में किये गये पर्यावरण समायोजनों का अध्ययन है। जनसंख्या का वितरण सम्पूर्ण प्रकृति में समान न होकर अलग-अलग पाया जाता है, ,जिसका प्रमुख कारण विभिन्न प्रकार के पर्यावरण हैं, जिनके साथ मानव भिन्न क्रिया-कलापों के तहत समायोजन करता है। यह समायोजन मानव वर्गों द्वारा पर्यावरण की शक्तियों, प्रभावों तथा प्रतिक्रियाओं के परस्पर कार्यात्मक सम्बन्धों के रूप में प्रादेशिक स्तर पर किया जाता है जिसका अध्ययन मानव भूगोल में किया जाता है। प्रकृति में निवास करने वाले मानव वर्ग विभिन्न पर्यावरणों का उपयोग करते हुए उसमें यथासंभव परिवर्तन करते हैं। इन परिवर्तनों के द्वारा ही समायोजन हो पाता है। परिवर्तन एवं समायोजन के फलस्वरूप मानव वर्ग सांस्कृतिक भूदृश्यों का निर्माण करते हैं । इस प्रकार मानव भूगोल में उन सभी प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है जिसमें मानव समुदाय क्रियाशील रहता है।



मानव भूगोल की प्रमुख परिभाषायें

(Main Definitions of Human Geography)

 प्रमुख विद्वानों द्वारा मानव भूगोल की निम्नलिखित परिभाषायें दी गयी हैं-

1. फ्रांसीसी विद्वान् प्रो. विडाल डी ला ब्लॉशे के अनुसार, "मानव भूगोल पृथ्वी और मानव के पारस्परिक सम्बन्धों का एक नया विचार देता है जिसमें पृथ्वी को नियन्त्रित करने वाले भौतिक नियमों का तथा पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों के पारस्परिक सम्बन्धों का अधिक संयुक्त ज्ञान उपलब्ध होता है । "

2. प्रो. जीन्स ब्रून्स के अनुसार, "मानव भूगोल उन सभी तथ्यों का अध्ययन है जो मानव के क्रिया-कलापों से प्रभावित हैं और जो हमारी पृथ्वी के धरातल पर घटित होने वाली घटनाओं में से छाँटकर एक विशेष श्रेणी में रखे जा सकते हैं।"

 3. अमरीकी भूगोलवेत्ता प्रो. हंटिंगटन के अनुसार, “मानव भूगोल भौतिक वातावरण और मनुष्य के कार्य-कलाप एवं गुणों के पारस्परिक सम्बन्ध के स्वरूप और वितरण का अध्ययन है । "


4. जर्मन मानव भूगोल शास्त्री रेट्जेल के अनुसार, “मानव भूगोल के दृश्य सर्वत्र वातावरण से सम्बन्धित होते हैं, जो स्वयं भौतिक दशाओं का एक योग होता है । " 

6. फ्रांसीसी विद्वान् डिमांजिया के अनुसार, "मानव - भूगोल मानवीय वर्गों और समाजों के तथा प्राकृतिक वातावरण के सम्बन्धों का अध्ययन है।"


7. लेबान के अनुसार, “मानव भूगोल एक समष्टि भूगोल है अर्था त् विस्तृत . स्वरूप वाला, जिसके अन्तर्गत मानव और उसके वातावरण के बीच सम्बन्धों फल स्वरूप उत्पन्न होने वाली सामान्य समस्या का स्पष्टीकरण किया जाता है। "

 8. एच. एल. फ्लूर के अनुसार, “मानव भूगोल मानव जीवन को तथा उसके विभिन्न पहलुओं को और विशिष्ट रूप से उन्हें क्षेत्रीय विभिन्नताओं के साथ समझने की क्रिया है ।'


9. परपिल्लो के अनुसार, "मानव भूगोल सर्वोपरि रूप से मानव समुदायों का अध्ययन है, जहाँ तक कि वे समुदाय और समूह एक-साथ कार्यरत हैं और पर्यावरण से परस्पर सम्बन्धित हैं । "


10. बी.सी. फिंच एवं जी. टी. ट्विार्था के अनुसार, "मानव या सांस्कृतिक भूगोल उन तत्त्वों का वर्गीकरण एवं विश्लेषण करता है जो कि मानव के किसी क्षेत्र में निवास करने से तथा संसाधनों के भौतिक संस्कृति के विकास के परिणामस्वरूप प्राप्त होते हैं। भौतिक संस्कृति के तत्त्वों द्वारा मानव के प्रयत्नों से जीवनयापन सुलभ होता है जिसमें भूमि उपयोग के तत्त्व, कृषि, निर्माण उद्योग, व्यापार, खनन और दूसरे आर्थिक पहलू आवास, खेत, सड़क, कारखाने, पालतू पशु आदि शामिल किये जाते हैं।"


उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर स्पष्ट है कि मानव भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जिसमें मानवीय क्रियाकलापों के संगठन व स्थानिक भिन्नता तथा उनके भौतिक पर्यावरण से अन्त सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है । इस प्रकार मानव भूगोल को समय के साथ परिवर्तनशील पर्यावरण के सन्दर्भ में विभिन्न विद्वानों ने परिभाषित किया है। अतः मानव भूगोल में मानव के पृथ्वी तल पर स्थानिक वितरण का अध्ययन किया जाता है ।5. कुमारी सैम्पुल के अनुसार, "मानव- भूगोल क्रियाशील मानव और अस्थायी पृथ्वी के परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है । "